हम आपके लिए आए है Maa shayari in hindi.. Maa एक शब्द और हजार भावनाओं को समेटे हुए, कभी ममतामयी कभी करुणामयी और उस कुम्हार की तरह, जो अपने घड़े को पक्का परखने के लिए घड़े के ऊपर तो चोंट मारता है लेकिन नीचे की ओर अपना हाथ का आधार बनाये रखता हैं …
अनेकानेक देव भी जिसकी गोद पाने को लालायित रहते है जिसके वात्सल्य के लिए मानव शरीर धारण करते हैं
ऐसी स्नेहमयी , परिपूर्णा “माँ” को सदैव नमन
वैसे तो
“क्या लिखू उस पर जिसने मुझे लिखना सिखाया शब्दो से परिचय करवाया ”
कुछ प्रयास है उसी ” माँ ” को नमन करने के लिए यह शब्द पुष्प और काव्य हार उसके शत शत वंदन के लिए …
कुछ ऐसी ही रचनाओ को लिए आपके साथ
Maa shayari in hindi by Munnwar rana
हमारे यहां बहुत से शायर हुए जिन्होने अलग अलग विषय पर पर शायरियां पेश की.. सबका अपना एक अलग अंदाज़ उन्हीं शायरों में से एक है मुन्नवर राणा जिन्होनें Maa पर shayari लिखीं और उन्हें लोगों तक पहुंचाया.. इससे उनको एक अलग पहचान मिली है उनकी maa shayari लिखी किताबें भी है
अगर हम maa shayari की बात करे तो सबसे पहला नाम मुन्नवर राणा जी का ही आता है कुछ शायरी आप लोगो के साथ शेयर कर रहा हूं..
चलती फिरती हुई आंखों से अजां देखी है
मै ने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है
अभी जिंदा है मां मेरी मुझे भी कुछ नहीं होगा
मै घर से निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
मै ने कल शब चहतो की सब किताबें फाड़ दी
सिर्फ़ एक कागज़ पर लिक्खा लफ्ज़-ए-मां रहने दिया
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
मै घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई
Duaa ko hath uthate hue, Mother shayari
दुआ को हाथ उठाते हुए लरज़ता हूं
कभी दुआ मांगी थी मां के होते हुए
किताबों की नकल कर तितलियां ग़ज़लें सुनाती है
टिफिन रखती है मेरी मां तो बस्ता मुस्कुराता है
सबने माना की मरने वाला दहशत-गर्द और कातिल था
मां ने फिर भी कब्र पे उस की राज-दुलारा लिक्खा था
मां की आगोश में कल मौत की आगोश में आज
हमको दुनियां में ये दो वक़्त सुहाने से मिले
Maa ke pairon mein, maa shayari in Hindi
मांगने पर जहां पूरी हर मन्नत होती है
मां के पैरों में ही तो जन्नत होती हैं
तेरी मुस्कान से मेरी खुशियों का किस्सा है
मैं तेरे शरीर का तू मेरी रूह का हिस्सा हैं
वो हर दर्द हमारा पहचान लेती है
दूर कितने भी हो हम
हमसे पहले हमें जान लेती है
मां
बड़ी बेचैन है यहां
तू ठीक है ना वहां
Tune sab jana Maa
फिसल रही थी जब उंगलियां
तब तूने हाथ थामा “मां”
जानकर भी कई लोग अनजान रहे
ना जानते हुए भी तूने सब जाना “मां”
किसी को जन्नत तो किसी को दो जहां चाहिए
किसी को धन दौलत तो किसी को मकां चाहिए
मुझे नहीं गरज इन नेयमतों की या रब
जिस की खिदमत से मिले सब वो “मां” चाहिए
लौट आता हूं जब भी हार कर कहीं से
सब कोसते हैं पर “मां” दुलार करती है
मां की गोद सुकून से सोया करते थे
वो भी क्या दिन थे बचपन के
जब एक मिट्टी के खिलौने के लिए रोया करते थे
Maa Baap ki kadar karo, maa shayari in Hindi
मां बाप आज साथ है तो
इनकी क़दर नहीं करते
कल जब खो दोगे तो याद करोगे
गिर जाए एक बार डाली से
यह ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते
घर घर नहीं लगता जब मां घर नहीं होती है
उसकी मौजूदगी घर को पूरा करती है
वो है तो ज़िन्दगी पूरी है
वो ना हो तो ज़िन्दगी अधूरी है
सबका अपना खुदा होता है
मेरी तो मां है
भूख तो एक रोटी से भी
मिट जाती है “मां”
अगर थाली की वो एक रोटी तेरे हाथ की हो
आदत लगानी है तो मां की लगाओ
आदत से कभी अकेलापन नहीं मिलेगा
क्या चाहिए कितना बाकी है
सकूं पाने के लिए
मां से बात ही काफी है
मां के आगे यूं कभी खुलकर नहीं रोना
जहां बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती
Maa ki aadat, Maa shayari
गुस्सा होकर भी फिक्र करना
मां की आदत होती है
महंगा सस्ता सिर्फ प्याज हुआ
दाल तेरी करोड़ों की ही रही
मोहब्बत की जाय
तो मां की राय ज़रूर ली जाय
गले मिलने को आपस में दुआएं रोज़ आती है
अभी मस्ज़िद के दरवाज़े पे माएं रोज़ आती है
सिर्फ़ मां
तसल्ली देने वाला ये ज़माना
और साथ देने वाली सिर्फ मां
मौत के लिए बहुत रास्ते है
पर जन्म देने के लिए सिर्फ एक मां ही है
मेरी मां ने मुझे सब कुछ सिखाया है
बस अपने बगैर जीना नहीं सिखाया
Maa ke liye kya likhun, mother shayari in Hindi
मां के लिए क्या लिखूं मैं
मां की ही तो लिखावट हूं मैं
मै मर भी जाऊं तो कोई ग़म नहीं
बस कफ़न मिले तो
दुपट्टा मेरी मां का हो
आंखे खोलूं तो चेहरा मां का हो
आंखे बंद हो तो हर सपना मां का हो
बैठ कर पास मेरे कहानियां
मुझे सुनाती थी
मै सो जाऊं से बस मां
मेरे ख्वाब की खातिर माने गहने बेचे हैं
वही ख्वाब है जो अब मुझे सोने नहीं देता
Tasveer (मां पर कविता)
ए तस्वीर थोड़ी डांट पर फटकार लगा देगी क्या?
मां की याद आ रही है लोरी सुना देगी क्या?
मुद्दतों से पेट भर के कुछ खाया नहीं मैंने
खुद भूखी रह कर वह आखरी निवाला खिला देगी क्या?
कुछ सस्ते कंगन लाया था मां के लिए
तू पहन उन्हें अनमोल बना देगी क्या?
अब और नहीं रहा जाता अकेले कमरे में
उंगली पकड़कर बाजार घुमा देगी क्या?
मुझे खुद में मिलाकर ए तस्वीर
मुझे मां से मिला देगी क्या?
Maa ki mamta
ग़म में भी मुस्कुरा देगा इतने उसके प्यार में क्षमता है
जग में सबसे अनोखी तो सिर्फ मां की ममता है..
बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है
बहुत ऊंची इमारत हर घड़ी के खतरे में रहती है
यह कैसा कर्ज है जो मैं अदा न कर ही नहीं सकता
मै जब तक घर ना लौटू मेरी मां सजदे में रहती है
गले मिलने को आपस में दुआएं रोज आती हैं
अभी मस्जिद के दरवाजे पे माएं रोज़ आती हैं
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आख़िर में बस इतना ही कहना चाहता हूं कि “मां” वो है जिसकी रचना हम सब है शब्दों से उसकी महानता का बखान करना आसान नहीं है।
“मां दी सेवा रब दी पूजा मां ही है रब दा नाम दूजा”
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